गीता अध्याय 1 अर्जुन विषाद योग : धृतराष्ट्र बोले , हे संजय , जो दशा देखते कुरुक्षेत्र में, वह बतलाओ, युद्ध प्रिय , मेरे और अनुज पुत्रों का , सारा वृत्तांत सुनाओ । 1 । संजय बोले, देख पांडव ...
~*~ ना था छोटा तब तक, जब तक बड़ों की भीड़ का हिस्सा ना था ...
चल रही थी मेरी भी जिंदगानी, मै भी कभी, गुज़रा कोई किस्सा ना था । ~*~
इस दुनियां की रस्मों रवायत से हम अनजान हैं ,
इसीलिए गुमनामी ही शायद हमारी पहचान हैं। ~*~
आदत नहीं यूं रहने की मौन, मौन पर मैं रहता हूं...
क्या समझेगा कोई, मौन रह के मैं क्या कहता हूं। ~*~
@n!k€t_kum@₹_bhaarat ~*~
http://aniketkumar.com
सारांश
~*~ ना था छोटा तब तक, जब तक बड़ों की भीड़ का हिस्सा ना था ...
चल रही थी मेरी भी जिंदगानी, मै भी कभी, गुज़रा कोई किस्सा ना था । ~*~
इस दुनियां की रस्मों रवायत से हम अनजान हैं ,
इसीलिए गुमनामी ही शायद हमारी पहचान हैं। ~*~
आदत नहीं यूं रहने की मौन, मौन पर मैं रहता हूं...
क्या समझेगा कोई, मौन रह के मैं क्या कहता हूं। ~*~
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बधाई हो! गीता अध्याय 1 अर्जुन विषाद योग :
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