मेरे मन के कोने में इक गीत कब से दबा हुआ है सुना है जल से भरे खेतों में रोपे जाते धान के पौधों की कतार से होकर गुजरता था गीत बौर से लदी आम की डाल पर बैठी कोयल के कंठ से होकर गुजरता ...
मेरे मन के कोने में इक गीत कब से दबा हुआ है सुना है जल से भरे खेतों में रोपे जाते धान के पौधों की कतार से होकर गुजरता था गीत बौर से लदी आम की डाल पर बैठी कोयल के कंठ से होकर गुजरता ...