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गजल : पत्नि (हास्य)

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3.8

बनी है जान की आफत,कहूँ पर प्राण की प्यारी । लगी थी वो बड़ी सुंदर,असल में यार बीमारी ।। सवेरे ही सवेरे गूंजते है बोल कानो में, खड़े होकर करो पति देव जी झाड़ू की' तैयारी ।। सुना है मालकिन होती हमारे अर्ध ...