गोमती बड़े शौक से अपने बहू बेटे से मिलने भारत से लंदन गई। एक सुबह वह बड़े आराम से चाय की चुसकियाँ ले रही थी कि बेटे की आवाज सुनाई दी- -अरे मेरा तौलिया कहाँ है ? -अंदर ही होगा । -नहीं मिल रहा ---। -मेरे ...
रचना बहुत अच्छी है। परंतु इसमें हास्य ब्यङ्ग्य जैसा कुछ ख़ास नहीं लगा। यह सामान्य पारिवारिक कहानी जैसी लगी। इसे हास्य ब्यङ्ग्य अंक में स्थान कैसे दिया गया यह सोचने वाली बात है।
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