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गवाही

4.2
220

थमे हुवे आंसू इस बात की गवाही दे रहे थे कि अन्दर काफी दर्द था जो बाहर आना चाहता था पर शायद जमाने से छुपाना जरूरी था नही चाहता था कि लोग दर्द से वाकिफ हो इसीलिए दर्द को दिल मे और होंठो पर हंसी को ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vikas Kumar
    15 जून 2023
    त्रिभुवन, आप प्रतिभाशाली हैं। लिखते रहिए।
  • author
    Manjit Singh
    06 सितम्बर 2020
    मार्मिक कविता
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    Vikas Kumar
    15 जून 2023
    त्रिभुवन, आप प्रतिभाशाली हैं। लिखते रहिए।
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    Manjit Singh
    06 सितम्बर 2020
    मार्मिक कविता