प्र
প্র
പ്ര
પ્ર
ಪ್ರ
பி
होम
श्रेणी लिखिए

गौतम से राम तक

4.2
911

गौतम ने तुम्हे पुत्रीवत पाल पोसकर बडा किया और अपनी अंकशायिनी बनाया तुम चुप रहीं मन ही मन जिसे(इन्द्र) प्रेम करती थीं उसे पाने की लालसा के बावजूद विरोध न कर सकीं चुप रहीं उस दिन इन्द्र को सामने पा रुक ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    ashutosh pandey
    15 अप्रैल 2018
    The poem is the result of complete misunderstanding of events related to Ahalya.
  • author
    shweta kumari
    08 जुलाई 2018
    वाह
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    पीडा में मात्रा अभाव है  तथा राष्ट्र भाषा का पूर्ण अनुसरण न करती अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता है ।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    ashutosh pandey
    15 अप्रैल 2018
    The poem is the result of complete misunderstanding of events related to Ahalya.
  • author
    shweta kumari
    08 जुलाई 2018
    वाह
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    पीडा में मात्रा अभाव है  तथा राष्ट्र भाषा का पूर्ण अनुसरण न करती अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता है ।