गौतम ने तुम्हे पुत्रीवत पाल पोसकर बडा किया और अपनी अंकशायिनी बनाया तुम चुप रहीं मन ही मन जिसे(इन्द्र) प्रेम करती थीं उसे पाने की लालसा के बावजूद विरोध न कर सकीं चुप रहीं उस दिन इन्द्र को सामने पा रुक ...
गौतम ने तुम्हे पुत्रीवत पाल पोसकर बडा किया और अपनी अंकशायिनी बनाया तुम चुप रहीं मन ही मन जिसे(इन्द्र) प्रेम करती थीं उसे पाने की लालसा के बावजूद विरोध न कर सकीं चुप रहीं उस दिन इन्द्र को सामने पा रुक ...