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गरीबी में भी दरिंदगी पैदा होती।

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मत उतार तू बुर्खा , बुर्खे में तू ज्यादा महफूज है। मत निकल तू सड़क पर, चारदीवारी में तू ज्यादा महफूज है। इंसानियत को शर्मशार करने वाली हरकतें हैं कुछ पागलों की क्या पता कब हैवानियत सवार हो जाए उन ...

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usha priyambada

दे न कितना दर्द देगी ऐ जिंदगी, तेरे दिये हर जख्म को पन्नों................................

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