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फिल्म 'न्यूड' की समीक्षा

4.8
323

इस फिल्म में कपड़े तो उतरते हैं लेकिन नंगापन नहीं दिखता फिल्में अच्छी लगती हैं मुझे । बहुत कुछ सोचने को मिलता है, लिखने की प्रेरणा मिलती है । लेकिन सच कहूं तो ऐसी फिल्में आजकल के हिंदी सिनेमा से हट ...

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लेखक के बारे में
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धीरज झा

नाम धीरज झा, काम - स्वछंद लेखन (खास कर कहानियां लिखना), खुद की वो बुरी आदत जो सबसे अच्छी लगती है मुझे वो है चोरी करना, लोगों के अहसास को चुरा कर कहानी का रूप दे देना अच्छा लगता है मुझे....किसी का दुःख, किसी की ख़ुशी, अगर मेरी वजह से लोगों तक पहुँच जाये तो बुरा ही क्या है इसमें :) .....इसी आदत ने मुझसे एक कहानी संग्रह लिखवा दिया जिसका नाम है सीट नं 48.... जी ये वही सीट नं 48 कहानी है जिसने मुझे प्रतिलिपि पर पहचान दी... इसके तीन भाग प्रतिलिपि पर हैं और चौथा और अंतिम भाग मेरे द्वारा इसी शीर्षक के साथ लिखी गयी किताब में....आप सब की वजह से हूँ इसीलिए कोशिश करूँगा कि आप सबका साथ हमेशा बना रहे... फेसबुक पर जुड़ें :- https://www.facebook.com/profile.php?id=100030711603945

समीक्षा
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    Meera Sajwan "मानवी"
    22 नवम्बर 2020
    फिल्म समाज का आयना होनी चाहिए। उसमें इन्टरटेनमेंट के अलावा एक सकारात्मक संदेश भी अवश्य होना चाहिए। फिल्म की सफलता के पीछे बहुत सारे लोगों के कड़े परिश्रम का हाथ होता है। लेखक,कलाकार, और निर्देशक की भूमिका सबसे अहम होती है। देश, काल और परिस्थितियाँ बहुत मायने रखती हैं। लेकिन दर्शकों की भूमिका, सोच ,देखने का और समझने का नजरिया बहुत मायने रखता है। हर फिल्म इंटरटेनिंग ही हो आवश्यक नहीं। हमारे समाज के कई सत्य ऐसे भी हैं जो शरीर और मन को ही नहीं हमारी आत्मा तक को झंकझोर कर रखने की क्षमता रखते हैं। बात नजरिये की होती है ।आजका अनुभवी दर्शक ही नहीं बल्कि हमारी नयी पीढ़ी भी बहुत-बहुत समझदार और संवेदनशील है। समाज के कई स्याह पहलू है, मजबूरियाँ है, यथार्थ हैं जो फिल्म के माध्यम से दर्शकों तक पहुँचे तो समाज में व्याप्त दोहरेपन मे अवश्य बदलाव आयेगा और हम एक स्वस्थ सोच को अपनाने में कामयाब हों। आपने बहुत ही खूबसूरत समीक्षा लिखी है बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
  • author
    rekha gidwani "Rekha"
    22 नवम्बर 2020
    exactly sir jiski story pr film bani h asi lady ka interview dekha tha mene par afsos har insaan in chijo ko deep me nahi sochta pr fir b kam se kam aap or aap jese log sochte h to relief h tq so much sir for writing about it m khud b is interview ko dekhne ke bad bhut time tak sochti rahi pr likhne le lie words b nahi the mere pas
  • author
    Rajni Gupta
    22 नवम्बर 2020
    dekhi hai maine ye movie . bahut hi behtareen movie hai
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    Meera Sajwan "मानवी"
    22 नवम्बर 2020
    फिल्म समाज का आयना होनी चाहिए। उसमें इन्टरटेनमेंट के अलावा एक सकारात्मक संदेश भी अवश्य होना चाहिए। फिल्म की सफलता के पीछे बहुत सारे लोगों के कड़े परिश्रम का हाथ होता है। लेखक,कलाकार, और निर्देशक की भूमिका सबसे अहम होती है। देश, काल और परिस्थितियाँ बहुत मायने रखती हैं। लेकिन दर्शकों की भूमिका, सोच ,देखने का और समझने का नजरिया बहुत मायने रखता है। हर फिल्म इंटरटेनिंग ही हो आवश्यक नहीं। हमारे समाज के कई सत्य ऐसे भी हैं जो शरीर और मन को ही नहीं हमारी आत्मा तक को झंकझोर कर रखने की क्षमता रखते हैं। बात नजरिये की होती है ।आजका अनुभवी दर्शक ही नहीं बल्कि हमारी नयी पीढ़ी भी बहुत-बहुत समझदार और संवेदनशील है। समाज के कई स्याह पहलू है, मजबूरियाँ है, यथार्थ हैं जो फिल्म के माध्यम से दर्शकों तक पहुँचे तो समाज में व्याप्त दोहरेपन मे अवश्य बदलाव आयेगा और हम एक स्वस्थ सोच को अपनाने में कामयाब हों। आपने बहुत ही खूबसूरत समीक्षा लिखी है बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
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    rekha gidwani "Rekha"
    22 नवम्बर 2020
    exactly sir jiski story pr film bani h asi lady ka interview dekha tha mene par afsos har insaan in chijo ko deep me nahi sochta pr fir b kam se kam aap or aap jese log sochte h to relief h tq so much sir for writing about it m khud b is interview ko dekhne ke bad bhut time tak sochti rahi pr likhne le lie words b nahi the mere pas
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    Rajni Gupta
    22 नवम्बर 2020
    dekhi hai maine ye movie . bahut hi behtareen movie hai