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एकादशी

4.8
290

राधा फिर आज अपने ही ख्यालों में खोई सी चहकती मुस्कुराती रसोई तैयार करने में जुटी थी। एक नज़र सास ससुर पर डाली जो पुरातनकालीन टीवी सीरियलों की दुनिया में खोए बैठे थे। मां, मां, सुनिए ना आज खाने में ...

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लेखक के बारे में

कभी कभी अपने मन के भावों को शब्दों में पिरोने की कोशिश कर लेती हूं।🙂

समीक्षा
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  • author
    Hemalata Godbole
    30 जून 2019
    पढी लिखु बहुओंका पहले ऐसा हाल होता था अब समय। बदला है।अब शायद पढीलिखी सास का हाल इससे भी आगे का है।शुभंभवतु। बधाई ।कही कहीं अवश्य पुनरावृति है।
  • author
    संध्या बक्शी
    03 अक्टूबर 2019
    O my God !😁😁😁 क्या करारा कटाक्ष ,नमक मिर्ची के साथ !👏👏👏👏👏 । वाकई अनु मैं तो ,कायल हो गई आपकी लेखनी की । आप तो बहुत ही अच्छा लिखतीं हैं । 👌👌👌 । .... और वो...' पढ़ी लिखी गँवार ' ... ये dialogue हमने भी झेला है ,... अनगिनत बार !! आपको मनोविज्ञान की गहन समझ है अनु ! बहुत ही कमाल का लेखन । 🌸 शुभकामनाएं ,एवं ढेर सारा प्यार 🌸
  • author
    Sangita Dixit
    08 जुलाई 2024
    बहुत शानदार लेखन,आप वाकई बहुत अच्छा लिखती हैं।कुछ घरों में हो सकता है ऐसा हो लेकिन अब सब कुछ बहुत बदल गया है।बहुत ही सहज और सुंदर रचना शैली है आपकी।
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    Hemalata Godbole
    30 जून 2019
    पढी लिखु बहुओंका पहले ऐसा हाल होता था अब समय। बदला है।अब शायद पढीलिखी सास का हाल इससे भी आगे का है।शुभंभवतु। बधाई ।कही कहीं अवश्य पुनरावृति है।
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    संध्या बक्शी
    03 अक्टूबर 2019
    O my God !😁😁😁 क्या करारा कटाक्ष ,नमक मिर्ची के साथ !👏👏👏👏👏 । वाकई अनु मैं तो ,कायल हो गई आपकी लेखनी की । आप तो बहुत ही अच्छा लिखतीं हैं । 👌👌👌 । .... और वो...' पढ़ी लिखी गँवार ' ... ये dialogue हमने भी झेला है ,... अनगिनत बार !! आपको मनोविज्ञान की गहन समझ है अनु ! बहुत ही कमाल का लेखन । 🌸 शुभकामनाएं ,एवं ढेर सारा प्यार 🌸
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    Sangita Dixit
    08 जुलाई 2024
    बहुत शानदार लेखन,आप वाकई बहुत अच्छा लिखती हैं।कुछ घरों में हो सकता है ऐसा हो लेकिन अब सब कुछ बहुत बदल गया है।बहुत ही सहज और सुंदर रचना शैली है आपकी।