एक थी राजकुमारी, घर भर की लाडली, पिता की प्यारी, जब भी सोती थी, ख्वाबों में तारे पोती थी, पंखों से आसमान नापती थी, जग भर में खुशियाँ बांटती थी। फिर आया एक राजकुमार, नींद छिनी, ख्वाब टूटे, पंख ...
एक थी राजकुमारी, घर भर की लाडली, पिता की प्यारी, जब भी सोती थी, ख्वाबों में तारे पोती थी, पंखों से आसमान नापती थी, जग भर में खुशियाँ बांटती थी। फिर आया एक राजकुमार, नींद छिनी, ख्वाब टूटे, पंख ...