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कहानी एक था बंटी ओमप्रकाश तिवारी-कहानी एक था बंटी ओमप्रकाश तिवारी

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3.6

कहानी देश की अर्थव्यवस्था में आम आदमी के शोषण को तो रेखांकित करती ही है लोगों की संवेदना पर पड़े पत्थर से भी रूबरू कराती है। फिर सियासत यदि मौत पर भी न हो तो कहें का लोकतंत्र।