एक सुबह मैं अपने शहर में सो कर उठा मेरा गुजरा कल भी मुझ पर बेवजह ऐंठा मैं मरना नहीं अपने अंदर कुछ मरना चाहता था गैर तो गैर शायद ही मुझे कोई अपना मानता था मै अपने आप में उलझा हुआ इंसान हूँ। कह सब ...
एक सुबह मैं अपने शहर में सो कर उठा मेरा गुजरा कल भी मुझ पर बेवजह ऐंठा मैं मरना नहीं अपने अंदर कुछ मरना चाहता था गैर तो गैर शायद ही मुझे कोई अपना मानता था मै अपने आप में उलझा हुआ इंसान हूँ। कह सब ...