pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

एक नया आगाज (हिन्दी कविता)

33
4.8

मस्त मस्त हवा का झोंका आता रहे यूं ही रे ऐसे ही धुन में हम मस्त मस्त गाते रहें यूं ही रे क्या करें और क्या न करें खोए क्यों या पाएं क्यों  इसी कशमकश में बीत जाएगी  जिंदगानी हमारी यूं ही रे मस्त ...