बचपन में पढी थी एक मोहन की कहानी, असहाय निर्धन बालक मगर स्वाभिमानी। गुरुकुल में कभी कुछ भेंट न दे पाता , सहपाठियों के तानों से परेशान रहता। घर में अकेली माॅ करती भी तो क्या, भूमि न कोई ...
बचपन में पढी थी एक मोहन की कहानी, असहाय निर्धन बालक मगर स्वाभिमानी। गुरुकुल में कभी कुछ भेंट न दे पाता , सहपाठियों के तानों से परेशान रहता। घर में अकेली माॅ करती भी तो क्या, भूमि न कोई ...