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एक कविता हर माँ के नाम ( लड़की )

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घूटनों पर रेंगते-रेंगते , लम्बे पैरों पर खड़ी हुई | तेरी ममता की आँचल में  , न जाने कब में बड़ी हुई | काला टीका ,  दूध मलाई  , आज भी सब कुछ वैसा है | मैं ही मैं हूँ हर जगह , प्यार ये तेरा कैसा है ...