घूटनों पर रेंगते-रेंगते , लम्बे पैरों पर खड़ी हुई | तेरी ममता की आँचल में , न जाने कब में बड़ी हुई | काला टीका , दूध मलाई , आज भी सब कुछ वैसा है | मैं ही मैं हूँ हर जगह , प्यार ये तेरा कैसा है ...
घूटनों पर रेंगते-रेंगते , लम्बे पैरों पर खड़ी हुई | तेरी ममता की आँचल में , न जाने कब में बड़ी हुई | काला टीका , दूध मलाई , आज भी सब कुछ वैसा है | मैं ही मैं हूँ हर जगह , प्यार ये तेरा कैसा है ...