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एक कली मुस्काई ...

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" एक बच्चा इधर भी है , उसे भी चोकलेट मिलेगी क्या ...?" सोनाली के पीछे से एक आवाज़ आई। सोनाली ने अचकचा कर मुड़ कर देखा।उसे तो वहां कोई बच्चा नज़र नहीं आया। उसके सामने तो एक सुंदर कद -काठी का एक ...

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लेखक के बारे में
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उपासना सियाग

उपासना सियाग  प्रकाशित रचनाएँ :      1 ) सरिता , सखी जागरण , दैनिक भास्कर और कई पत्र - पत्रिकाओं में कहानियाँ और कविताओं का प्रकाशन।       2 ) छह साँझा काव्य संग्रह और रश्मि प्रभा जी की पुस्तक में लेख ' औरत होना ही अपने आप में एक ताकत है '… का प्रकाशन।  पुरस्कार -सम्मान :-- 2011 का ब्लॉग रत्न अवार्ड , शोभना संस्था द्वारा।  अभिरुचियाँ :-- कहानी , कविता लिखने के साथ ही पढ़ने का भी शौक है।  शिक्षा : बी.एस.सी. (गृह विज्ञान ) महारानी कॉलेज जयपुर ( राजस्थान )  , ज्योतिष रत्न  ए.आई.ऍफ़.ए.एस.( AIFAS) दिल्ली। 

समीक्षा
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  • author
    Shikha Srivastava
    09 सितम्बर 2018
    कहानी अच्छी है, पर अंत में उसके बच्चों को उसे समझना चाहिए था। और पति व उस लङकी को उनकी गलती की सजा मिलनी चाहिए था।
  • author
    Sangeeta Devi
    31 अगस्त 2020
    बहुत ही सुन्दर रचना है और लगता है सब अपने आसपास ही हो रहा है सब सबको खुश रहने का हक है तो फिर औरत ही क्यो घुट घुट कर जियें ।बहुत बहुत धन्यवाद जीने की राह दिखाई आपने ।केसे आप नही समझेगे काश सबको समझ मे आता ओरतभी दिल रखती है ।🌹💝🌹
  • author
    Jyoti Bajpai
    30 अगस्त 2020
    कैसे गिरे हुए थे दोनों भाई बहन होकर भी छी-छी। 😠😠😠
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    Shikha Srivastava
    09 सितम्बर 2018
    कहानी अच्छी है, पर अंत में उसके बच्चों को उसे समझना चाहिए था। और पति व उस लङकी को उनकी गलती की सजा मिलनी चाहिए था।
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    Sangeeta Devi
    31 अगस्त 2020
    बहुत ही सुन्दर रचना है और लगता है सब अपने आसपास ही हो रहा है सब सबको खुश रहने का हक है तो फिर औरत ही क्यो घुट घुट कर जियें ।बहुत बहुत धन्यवाद जीने की राह दिखाई आपने ।केसे आप नही समझेगे काश सबको समझ मे आता ओरतभी दिल रखती है ।🌹💝🌹
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    Jyoti Bajpai
    30 अगस्त 2020
    कैसे गिरे हुए थे दोनों भाई बहन होकर भी छी-छी। 😠😠😠