आज कल अकेली सी हो गई हूं
क्यू की अब कोई सुबह मेरे सर पर
हाथ फिरा कर उठाने वाला नहीं है
अब सुबह खुद सोकर उठ जाती हूं
अब किसी सवाल के जबाव पर अटकने
पर गूगल करती हूं ….क्यू की अब
आप जो नहीं हो मेरे साथ ….
मेरे सवालों के जवाब देने के लिए
……...अब जब भी परेशान होती हूं
तो अकेले बैठ जाती हूं ………क्यूकी
मेरी परेशानी समझने के लिए
अब आप तो आ नहीं सकते क्योंकि
दूर जो बहुत हो गए हो हम से ….आप
अब जूते भी मै खुद ही पहन लेती हूं …
लेफ्ट और राइट भी समझ आता है मुझे
अब उल्टे जूते नहीं पहनती मैं….
क्यू की रोज सुबह जूते पहनाने अब आप
तो आओगे नहीं……
अब मुझे रोज़ पॉकेट मनी भी नहीं मिलती
खुद जो कामने लगी हूं…….
अब मैं जिद भी नहीं करतीं
क्यों कि मेरी जिद पूरी
करने वाले आप जो नहीं हो
पास………...
अब सुबह खेलने नहीं जा पाती
क्यू की अब आप जो नहीं हो साथ
खेलने वाले …….…
अब मुझे हर शुक्रवार का इंतजार
नहीं होता क्यू की अब आप तो हो नहीं
जो हर शुक्रवार को स्कूटर पर घूमआने ले जाओ
…….
अब मैं लड़ती भी नहीं हूं
क्यू कि मेरी लड़ाई सुलझाने वाले
आप जो नहीं हो …... साथ मेरे
अब मैं खामोश रहती हूं
क्योंकि मेरी बातें सुनने वाले आप जो नहीं हो साथ…मेरे बैठने के लिए
बहुत अकेली हो गई है पापा आपकी बेटी जिसे आप हमेशा बेटा कह कर बुलाते थे … वापस आ जाओ ना पापा 😐