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एक बार फिर मुखिया बना दो

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अर्धनग्नावस्था में घर के किसी एक कोने में बैठ सोचता होगा वह भी कि काश समझ पाते कम से कम वो जो उसके अपने हैं उन परेशानियों को जिन्हें पगड़ी में समेट अपने सिर से हिलने तक ना दिया कभी! वह सोचता है ...