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एक अधूरी ख़्वाहिश....

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ख्वाहिशें होना बहुत जरूरी है, ख्वाहिशें ही तो है जो इंसान को हर हाल में जिंदा रख सकती हैं |ख्वाहिशें उन उड़ते परिंदे की तरह है जो कभी एक डाल पर तो कभी दूसरी डाल पर तो कभी खुले गगन के तले..... ...

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लेखक के बारे में
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कोमल सोनी

कलमकार

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