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ए मेरी जान मुझ को माफ़ कर दो

4.4
1805

ए मेरी जान मुझ को माफ़ कर दो तुम्हारा जिस्म अब छू न सकूंगा नहीं हूँ पहले वाला मर्द अब मैं नहीं एहसास वाला फ़र्द अब मैं हर एक जज़्बा जहाँ से मुड़ गया है मेरा रिश्ता वहां से जुड़ गया है वह जो मेरी तरह के ...

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लेखक के बारे में

बहुमुखी प्रतिभा के धनि तहसीन मुनव्वर उर्दू के जाने माने साहित्यकार हैं. उनके शायरी के दो संग्रह ‘धूप चांदनी’ और ‘सहरा में शजर’ प्रकाशित हो चुके हैं. दिल्ली उर्दू अकादमी ने उनके कहानी संग्रह ‘मासूम’ के लिए 2004 में उन्हें पुरस्कृत किया था. वह उर्दू अकादमी दिल्ली की गवर्निग कौंसिल के सदस्य भी रहे हैं. उर्दू के अलावा कई भाषाओँ के ज्ञाता हैं तथा पंजाबी में भी शायरी करते हैं. इसके अलावा मीडिया सलाहकार के रूप में चार-चार केंद्रीय रेल मंत्रियों के साथ जुड़े रहे जिन में श्री लालू प्रसाद यादव और ममता बनेर्जी भी शामिल हैं. तहसीन मुनव्वर उर्दू समाचार वाचक और एंकर के रूप में आकाशवाणी और दूरदर्शन और ईटीवी से भी जुड़े रहे हैं. 1990 की दहाई में जब कश्मीर में आतंकवाद अपने चरम पर था उस समय दूरदर्शन पर समाचार वाचक के रूप में उन्हों ने सेवाएँ दी हैं. कई धारावाहिक लिखे हैं तथा अभिनय भी किया है. एक फीचर फिल्म के गीत भी इनके नाम हैं. देश विदेश में मुशायरों और कवि सम्मलेन में अपनी अलग छाप छोड़ते रहे हैं. रेडियो, टीवी और फिल्म के अलावा उर्दू व् हिंदी समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में विभिन विषयों पर उनके लेख तथा स्तंभ प्रकशित होते रहते हैं. एक उर्दू पाक्षिक समाचारपत्र ‘पर्वाना ए हिन्द’ का स्वयं प्रकाशन व संपादन भी करते हैं. देश के कई नामी पत्रकारिता विद्यालयों से भी जुड़े हैं.

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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Barkat Sahra "सहरा"
    05 अप्रैल 2019
    दिल को छू लिया इस नज़्म ने। ये नज़्म समाज के उन दरिंदों की सच्चाई को उजागर करती है जिनसे सिर्फ़ औरत ज़ात ही नहीं बल्कि आज का बच्चा-बच्चा डरा हुआ है। ये तो जानवर भी कहलाए जाने के हक़दार नहीं हैं।
  • author
    Umesh Trivedi
    29 फ़रवरी 2020
    बस आसुओ के अलावा लिख नही सकता।तारिख पे तारीख
  • author
    Mrs Patil
    17 फ़रवरी 2020
    दिल & दिमाग सुन्न कर गई...!! नि:शब्द!! 😥
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    Barkat Sahra "सहरा"
    05 अप्रैल 2019
    दिल को छू लिया इस नज़्म ने। ये नज़्म समाज के उन दरिंदों की सच्चाई को उजागर करती है जिनसे सिर्फ़ औरत ज़ात ही नहीं बल्कि आज का बच्चा-बच्चा डरा हुआ है। ये तो जानवर भी कहलाए जाने के हक़दार नहीं हैं।
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    Umesh Trivedi
    29 फ़रवरी 2020
    बस आसुओ के अलावा लिख नही सकता।तारिख पे तारीख
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    Mrs Patil
    17 फ़रवरी 2020
    दिल & दिमाग सुन्न कर गई...!! नि:शब्द!! 😥