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कल घाट पर नदी (घाघरा) के किनारे एक पेड़ के सहारे यूँ ही सुनसान हालत में देर शाम तक बैठा सोचता रहा था... काश वो दिन कब आएंगे जब मैं और तुम अस्सी घाट पर बैठेंगे... गंगा आरती के साथ नीबूं वाली चाय और लाई ...