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दुख ही जीवन की कथा रही

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दुख ही जीवन की कथा रही दुख ही जीवन की कथा रही| क्या कहूं जो मैंने नहीं कहीं| शब्दों में बता नहीं पाती हूं| आज भी स्वयं को उदास ही पाती हूं| क्या कहूं जो मैंने नहीं कही| दुख ही जीवन की कथा रही| उदासी ...