pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

दूसरी औरत

स्त्री-विमर्श
164635
4.4

सब कुछ अचानक ही हो गया था जैसे। सगाई और ब्याह के बीच का फासला इतना कम रहा कि उसे और कुछ सोचने-बूझने का अवसर ही नहीं मिला। कपड़े की गुड़िया के समान उसे यहां से वहां ऐसे कर दिया गया जैसे उसका अपना कोई ...