सब कुछ अचानक ही हो गया था जैसे। सगाई और ब्याह के बीच का फासला इतना कम रहा कि उसे और कुछ सोचने-बूझने का अवसर ही नहीं मिला। कपड़े की गुड़िया के समान उसे यहां से वहां ऐसे कर दिया गया जैसे उसका अपना कोई ...
हिन्दी और राजस्थानी में कवि, कथाकार, समीक्षक और संस्कृतिकर्मी के रूप में सुपरिचित। कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, संवाद और अनुवाद आदि विधाओं में निरन्तर लेखन और प्रकाशन। जनसंचार माध्यमों में सम्पादन, लेखन, कार्यक्रम नियोजन, निर्माण और पर्यवेक्षण के क्षेत्र में चार दशक का कार्य-अनुभव। प्रकाशन : राजस्थानी में - अंधार पख (कविता संग्रह) ,दौर अर दायरौ (आलोचना), सांम्ही खुलतौ मारग (उपन्यास), बदळती सरगम (कहाणी संग्रह), हिन्दी में – ‘झील पर हावी रात’, ‘हरी दूब का सपना’ और ‘आदिम बस्तियों के बीच’ (कविता संग्रह), आपसदारी (कहानी संग्रह), संवाद निरन्तर (संवाद-संग्रह), साहित्य परम्परा और नया रचनाकर्म (आलोचना) और संस्कृति जनसंचार और बाजार (मीडिया पर निबंधों का संग्रह)। सम्पादन : राजस्थानी साहित्यिक पत्रिका ´हरावळ´ का संपादन। राजस्थान साहित्य अकादमी से प्रकाशित काव्य- संकलन “रेत पर नंगे पांव”, नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, नई दिल्ली से राजस्थानी की प्रतिनिधि कहानियों के संकलन “तीन बीसी पार” और साहित्य अकादमी, नई दिल्ली से आधुनिक राजस्थानी काव्य का प्रतिनिधि संकलन ‘जातरा अर पड़ाव’ का संपादन । सम्मान : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा गद्य पुरस्कार, मारवाड़ी सम्मेलन, मुंबई द्वारा सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार, केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार, दूरदर्शन विशिष्ट सेवा पुरस्कार , के.के. बिड़ला फाउंडेशन का बिहारी पुरस्कार और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार तथा राजस्थानी भाषा साहित्य और संस्कृति अकादमी, के ‘सूर्यमल्ल मीसण शिखर पुरस्कार से सम्मानित।
हिन्दी और राजस्थानी में कवि, कथाकार, समीक्षक और संस्कृतिकर्मी के रूप में सुपरिचित। कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, संवाद और अनुवाद आदि विधाओं में निरन्तर लेखन और प्रकाशन। जनसंचार माध्यमों में सम्पादन, लेखन, कार्यक्रम नियोजन, निर्माण और पर्यवेक्षण के क्षेत्र में चार दशक का कार्य-अनुभव। प्रकाशन : राजस्थानी में - अंधार पख (कविता संग्रह) ,दौर अर दायरौ (आलोचना), सांम्ही खुलतौ मारग (उपन्यास), बदळती सरगम (कहाणी संग्रह), हिन्दी में – ‘झील पर हावी रात’, ‘हरी दूब का सपना’ और ‘आदिम बस्तियों के बीच’ (कविता संग्रह), आपसदारी (कहानी संग्रह), संवाद निरन्तर (संवाद-संग्रह), साहित्य परम्परा और नया रचनाकर्म (आलोचना) और संस्कृति जनसंचार और बाजार (मीडिया पर निबंधों का संग्रह)। सम्पादन : राजस्थानी साहित्यिक पत्रिका ´हरावळ´ का संपादन। राजस्थान साहित्य अकादमी से प्रकाशित काव्य- संकलन “रेत पर नंगे पांव”, नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, नई दिल्ली से राजस्थानी की प्रतिनिधि कहानियों के संकलन “तीन बीसी पार” और साहित्य अकादमी, नई दिल्ली से आधुनिक राजस्थानी काव्य का प्रतिनिधि संकलन ‘जातरा अर पड़ाव’ का संपादन । सम्मान : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा गद्य पुरस्कार, मारवाड़ी सम्मेलन, मुंबई द्वारा सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार, केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार, दूरदर्शन विशिष्ट सेवा पुरस्कार , के.के. बिड़ला फाउंडेशन का बिहारी पुरस्कार और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार तथा राजस्थानी भाषा साहित्य और संस्कृति अकादमी, के ‘सूर्यमल्ल मीसण शिखर पुरस्कार से सम्मानित।
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