बीच भवर मे नाँव फ़सी है, दूर किनारा है, दूर दूर तक नजर नहीं आता कोई सहारा है, लहरों के हिचकोलो मे नेया कभी इधर तो कभी उधर जाती है, बैठी सोच रही हूँ काश कोई तिनका नजर आ जाए किनारे पे, एक एक पल जैसे ...
बीच भवर मे नाँव फ़सी है, दूर किनारा है, दूर दूर तक नजर नहीं आता कोई सहारा है, लहरों के हिचकोलो मे नेया कभी इधर तो कभी उधर जाती है, बैठी सोच रही हूँ काश कोई तिनका नजर आ जाए किनारे पे, एक एक पल जैसे ...