एक पहाड़ी नदी के बीच बड़े से पत्थर पर बैठा हूँ। सरिता, मेरे सामने एक छोटे पत्थर पर बैठी मुस्करा रही है। उसके गोरे सुडौल पैर पत्थरों के बीच से कलकल करती बहती पतली जलधारा से अठखेलियाँ कर रहे हैं। ढलती ...

प्रतिलिपिएक पहाड़ी नदी के बीच बड़े से पत्थर पर बैठा हूँ। सरिता, मेरे सामने एक छोटे पत्थर पर बैठी मुस्करा रही है। उसके गोरे सुडौल पैर पत्थरों के बीच से कलकल करती बहती पतली जलधारा से अठखेलियाँ कर रहे हैं। ढलती ...