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दो किताबें.....

4.5
7987

सुबह की अज़ान और मंदिर की घंटियों के बीच सूरज रोज़ कबीर की खिड़की पर दस्तक़ देता था, कबीर एक रेडियो स्टेशन में अरेंजर की नौकरी करता था उसकी सुबह भी शायरी से शुरू होती और रात भी किसी कविता के आग़ोश में ख़त्म होती। एक बेहद संजीदा शख्शियत रखने वाला कबीर हास्य कविता को बड़ा पसंद करता था, उसे ज़िन्दगी की छोटी छोटी बारीकियों में छुपे हास्य को पढ़ना बेहद अच्छा लगता था, उस रोज भी उसका दिन रोज़ की तरह ही शुरू हुआ, बस आज का दिन खास था क्योंकि आज 15 अगस्त थी और पूरा देश आज़ादी के रंग में रंगा हुआ था हर जगह सिर्फ ...

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लेखक के बारे में
author
Raj Bairwa

Life is a journey and I am a Musafir..📽📷🍁🎧🎤📖📝

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

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  • author
    Manjula Pal
    18 സെപ്റ്റംബര്‍ 2018
    सुन्दर अभिव्यक्ति, तन आज़ाद है पर मन की बेडियां कब टूटेंगी, काश मन मुक्त पंछी की तरह खुल कर उड़ पाता
  • author
    Raj Bairwa
    18 സെപ്റ്റംബര്‍ 2018
    दो धर्मों की वजह से समाज मे फैली एक डर और प्यार को बख़ूबी बयां करती कहानी....!!👌👌👌👌
  • author
    Renuka Middha "शमा़"
    18 സെപ്റ്റംബര്‍ 2018
    मन की उलझनों को सुलझाने में उलझी इक और उलझन .... बहुत खूब
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    Manjula Pal
    18 സെപ്റ്റംബര്‍ 2018
    सुन्दर अभिव्यक्ति, तन आज़ाद है पर मन की बेडियां कब टूटेंगी, काश मन मुक्त पंछी की तरह खुल कर उड़ पाता
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    Raj Bairwa
    18 സെപ്റ്റംബര്‍ 2018
    दो धर्मों की वजह से समाज मे फैली एक डर और प्यार को बख़ूबी बयां करती कहानी....!!👌👌👌👌
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    Renuka Middha "शमा़"
    18 സെപ്റ്റംബര്‍ 2018
    मन की उलझनों को सुलझाने में उलझी इक और उलझन .... बहुत खूब