सुबह की अज़ान और मंदिर की घंटियों के बीच सूरज रोज़ कबीर की खिड़की पर दस्तक़ देता था, कबीर एक रेडियो स्टेशन में अरेंजर की नौकरी करता था उसकी सुबह भी शायरी से शुरू होती और रात भी किसी कविता के आग़ोश में ...

प्रतिलिपिसुबह की अज़ान और मंदिर की घंटियों के बीच सूरज रोज़ कबीर की खिड़की पर दस्तक़ देता था, कबीर एक रेडियो स्टेशन में अरेंजर की नौकरी करता था उसकी सुबह भी शायरी से शुरू होती और रात भी किसी कविता के आग़ोश में ...