सुबह की अज़ान और मंदिर की घंटियों के बीच सूरज रोज़ कबीर की खिड़की पर दस्तक़ देता था, कबीर एक रेडियो स्टेशन में अरेंजर की नौकरी करता था उसकी सुबह भी शायरी से शुरू होती और रात भी किसी कविता के आग़ोश में ख़त्म होती। एक बेहद संजीदा शख्शियत रखने वाला कबीर हास्य कविता को बड़ा पसंद करता था, उसे ज़िन्दगी की छोटी छोटी बारीकियों में छुपे हास्य को पढ़ना बेहद अच्छा लगता था, उस रोज भी उसका दिन रोज़ की तरह ही शुरू हुआ, बस आज का दिन खास था क्योंकि आज 15 अगस्त थी और पूरा देश आज़ादी के रंग में रंगा हुआ था हर जगह सिर्फ ...
रिपोर्ट की समस्या
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