जले दीप जब रोशन-रोशन चहुं दिशा प्रकाशित हो जाए। प्रज्वलित लौ जगमग दीपक की, जिससे समस्त अंधकार छंट जाए। लीला गजब यह कैसी उसकी, दिया तले अंधेरा रह जाए। दिया तले का भाग अभागा, नजदीक रहकर भी वंचित रह ...
पिता से है पहचान हमारी,
है उन्हीं की देन हर योग्यता हमारी,
कर्म से लेकर किरदारों तक....
उनकी ही परछाई हूं।
हर ज्ञान, भाव सब छाप उन्हीं की..,
जहां तक चली है कलम हमारी....✍️।
सारांश
पिता से है पहचान हमारी,
है उन्हीं की देन हर योग्यता हमारी,
कर्म से लेकर किरदारों तक....
उनकी ही परछाई हूं।
हर ज्ञान, भाव सब छाप उन्हीं की..,
जहां तक चली है कलम हमारी....✍️।
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