मौसम अपने पूरे शबाब पर था , साँझ धीरे से झीने काले दुपट्टे मे अपने अंगों को ढ़क रही थी । लाखो मद मस्त दिल अपनी आँखों के दांतों तले साँझ का शबाब चबा रहे थे , पर वो इन सब से बेखबर अपने टाइपराइटर की ...

प्रतिलिपिमौसम अपने पूरे शबाब पर था , साँझ धीरे से झीने काले दुपट्टे मे अपने अंगों को ढ़क रही थी । लाखो मद मस्त दिल अपनी आँखों के दांतों तले साँझ का शबाब चबा रहे थे , पर वो इन सब से बेखबर अपने टाइपराइटर की ...