pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

दिल्ली गर्ल

102046
4.2

मौसम अपने पूरे शबाब पर था , साँझ धीरे से झीने काले दुपट्टे मे अपने अंगों को ढ़क रही थी । लाखो मद मस्त दिल अपनी आँखों के दांतों तले साँझ का शबाब चबा रहे थे , पर वो इन सब से बेखबर अपने टाइपराइटर की ...