खिड़की से प्रांजल को सामान उतरवाते देख श्वेता की अधरों पर एक बार फिर मुस्कान थिरक आई थी। बेड पर उसे खोया हुआ बेटा देख रश्मि ने डांटते हुए कहा, "अब तुम्हें चलना है या नहीं आज कॉलेज या मैं अकेले ...
खिड़की से प्रांजल को सामान उतरवाते देख श्वेता की अधरों पर एक बार फिर मुस्कान थिरक आई थी। बेड पर उसे खोया हुआ बेटा देख रश्मि ने डांटते हुए कहा, "अब तुम्हें चलना है या नहीं आज कॉलेज या मैं अकेले ...