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"दिल का आईना"

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दिल के आईने में, ढूँढती रही अक्स जो तेरा वो उम्र तमाम  हूँ मैं लम्हा-लम्हा गुजर रही है जिन्दगी अब तो "सरोज " सिर्फ, ढलती हुई शाम हूँ मैं                 # सरोज चावला. ...

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लेखक के बारे में
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Saroj Chawla

अच्छा साहित्य पढ़ना व लिखना मेरा पहला शौक है । मैं अधिकतर हिन्दी कविता एवं शायरी लिखती हूँ । कभी-कभी हिन्दी व पंजाबी में कहानियाँ भी लिखती हूँ । हिन्दी कर्णप्रिय संगीत🎤🎼🎹🎶 सुनना अच्छा लगता है । कायनात से बहुत प्रेम है मुझे...... बच्चों से प्रेम व सब का आदर सत्कार करना मेरी आदतों में शुमार है ।। " सरोज चावला "

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