pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

धुन्ध, कोहरा - गज़ल

366
4.2

धुन्ध , कोहरा , और न जालों का नाम है। जिन्दगी ये दोस्त ! उजालों का नाम है। गम के बादलों घिरी अॅंधेरी रात में सुब्ह के हसीन ख़यालों का नाम है। गर सुलझ गयी तो है हर प्रश्न का उत्तर वर्ना तो अंतहीन ...