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धूप निकल आयी है

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जिंदगी रौशनी के रंग पहन आयी है दिल ने फ़िर शोर किया रूह गुनगुनायी है ख़ुद में क्यों बंद हो क्यों चिटकनी लगायी है खिड़कियां खोल दो धूप निकल आयी है था अंधेरों को खुद पे ग़ुमान बड़ा घेर कर रखा था आसमान ...

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Snehvir Gusain
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