pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

ढपोरशंख

544
4.6

एक भक्त ने वन में घोर तपस्या की. भगवान ने उसे वरदान के रूप में एक दिव्य शंख दिया और कहा, "इसे अपने घर ले जाओ. पूजाघर को गोबर से लीपकर, इस पर गंगाजल छिड़ककर, इसे अंजुलि में लेकर जो भी माँगोगे, मिल ...