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धन्यवाद बाबू जी

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बाबू जी आप किसान के यहां क्यों पैदा हुए? हो भी गए थे तो पढ़ाई क्यो नहीं किए? शहर क्यों नहीं गए? कोई नौकरी क्यों नहीं किए? ये सब नहीं किए तो भी ठीक था पर थोड़ी चालाकी क्यों नहीं सीखे? सीखे होते तो ...

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लेखक के बारे में

मैं मूलतः कहानीकार हूं। कोई 50 कहानियां 1995 से वैचारिकी संकलन, वागर्थ, नया ज्ञानोदय, परिकथा, लमही, कादम्बनी, वर्तमान साहित्य, प्रेरणा, आकल्प आदि पत्रिकाओं में छप चुकी हैं। कविताएं इधर लिखनी शुरू की हैं। अंधेरे कोने और अंतहीन नामक दो उपन्यास लिखे हैं। अंधेरे कोने उपन्यास notnul.com पर उपलब्ध है। नाटक स्वप्नवृक्ष का जालंधर में दो बार श्री नीरज कौशिक के निर्देशन में मंचन हो चुका है। यह नाटक मेरे ब्लॉग katha-khani.blogspot.in पर मौजूद है। इसे अब तक 50 हजार से अधिक पाठकों ने पढ़ा है। इस ब्लॉग पर मेरी कई कहानियां और कविताएं भी मौजूद हैं। smalochna.blogspot.in पर कई लेख मौजूद हैं। hindi.pratilipi.com पर कई कहानियां और कविताएं मौजूद हैं। पेशे से पत्रकार हूं। फ़िलहाल अमर उजाला में समाचार संपादक हूं।

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