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..धैर्य और मृदुता

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शूल के साथ भी हम मुस्कुरा रहे हैं निजी आकांक्षाओं के शव स्वयंके हाथों जला रहे हैं इस संसार महानद में डूबते  निकलते हुए हम अपने आप को समझा रहे हैं सुख-दुख तो है मन की धारणा सर्वोच सत्ता द्वार ...

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Renu Verma
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