pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

देव दानव

0

देव -दानव वृत्ति थोड़ा बहुत सबमें बसते, शुभ अशुभ भी जीवन में आंख मिचौली खेलते. देव - भाव का जब हो मन में अभाव, दंभ रिपु द्वन्द अविवेक डाले प्रभाव. मन होता अशांत हृदय अति व्याकुल, जपो मानव धर्म न ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Swapankumar Mukherjee

Retired Professor. Writes poetry, blogs and translation in hindi.

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है