सुबह के साढ़े चार बजे थे। लेह की ठंडी हवाएँ रणवीर राणा के चेहरे को छू रही थीं, मानो कह रही हों, "उठ जा, वीर, आज का दिन तेरा है।" रणवीर अपनी आर्मी यूनिट के कैंप के पास पहाड़ी रास्ते पर दौड़ रहा ...
सुबह के साढ़े चार बजे थे। लेह की ठंडी हवाएँ रणवीर राणा के चेहरे को छू रही थीं, मानो कह रही हों, "उठ जा, वीर, आज का दिन तेरा है।" रणवीर अपनी आर्मी यूनिट के कैंप के पास पहाड़ी रास्ते पर दौड़ रहा ...