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देख रही हूँ ,नन्ही बूंदों को

4.3
805

देख रही हूँ , नन्हीं बूँदों को सागर बनते हुए , निखरते हुए , किसी के दुःख में , किसी की मुस्कान में देख रही हूँ बूँदों को ''बारिश के मकान '' में . . . . . देख रही हूँ , बूँदों के असीम संसार को हर गली ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    shivani astro
    11 अक्टूबर 2015
    बहुत प्यारी कविता ... 
  • author
    Lalit Rayal
    11 अक्टूबर 2015
    सर्वप्रथम प्रतिलिपि का आभार ऐसे प्रयासों के लिए .... हिमानी की कविताएँ और उनके चित्र अंतस के साकार रूप हैं .....
  • author
    Shubham Joshi "Shubh"
    12 अक्टूबर 2015
    ज़िन्दगी के पन्ने पे मेहनत के रंगो से सजी हुई , एक इत्मीनान सफर के सामान , दुआ है जो कभी खत्म न हो . . :)
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    shivani astro
    11 अक्टूबर 2015
    बहुत प्यारी कविता ... 
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    Lalit Rayal
    11 अक्टूबर 2015
    सर्वप्रथम प्रतिलिपि का आभार ऐसे प्रयासों के लिए .... हिमानी की कविताएँ और उनके चित्र अंतस के साकार रूप हैं .....
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    Shubham Joshi "Shubh"
    12 अक्टूबर 2015
    ज़िन्दगी के पन्ने पे मेहनत के रंगो से सजी हुई , एक इत्मीनान सफर के सामान , दुआ है जो कभी खत्म न हो . . :)