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दरिंदा है आदमी

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दरिंदा है आदमी बाजों सरीखी फ़ितरत नज़रें शिकार पर. ओ आसमां का खूनी परिंदा है आदमी. ऊपर से ‘सुमन' दिखता तहज़ीब का वो मंज़र. मैं जानता हूँ यूँ तो दरिंदा है आदमी. ...

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लेखक के बारे में

कवि,गीतकार,कहानीकार व लेखक मैं #उपेन्द्र सिंह ‘सुमन’, #UpenddraSinggh #upendrasinghsuman एक संवेदनशील कवि,गीतकार, व्यंग्यकार, लेखक और कहानीकार हूँ। मेरी रचनाएँ दूरदर्शन, आकाशवाणी, विविध मंचों और पत्र-पत्रिकाओं में प्रसारित/प्रकाशित हो चुकी हैं। मैं गीत, मुक्तक, ग़ज़ल के माध्यम से जीवन की गहराइयों को शब्दों में पिरोने का प्रयास करता हूँ। कवि व गीतकार

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