दर्द भी गुज़रती रात का सिला देता है तमाम उम्र गुज़ारने की वजह देता है बेरुखी को हाथों से मल रहा है मौसम मुझे वो अंधेरे से मिला देता है हर लम्हा खर्च हो रहा है आजकल शाम का मुकद्दर मुझे जला देता है ...
दर्द भी गुज़रती रात का सिला देता है तमाम उम्र गुज़ारने की वजह देता है बेरुखी को हाथों से मल रहा है मौसम मुझे वो अंधेरे से मिला देता है हर लम्हा खर्च हो रहा है आजकल शाम का मुकद्दर मुझे जला देता है ...