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डर से भी बड़ा..डर

4.0
54566

खड़ खड़--खड़ खड़..ट्रेन द्रुत गति से भागी चली जा रही थी।संध्या काल का समय था। तेज बारिश और बीच बीच मे बिजली की चमक वातानुकूलित कोच की खिड़कियों से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही थी।केबिन का एकांत और यह भयावह ...

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लेखक के बारे में

इलाहबाद विश्विद्यालय से भौतिक शास्त्र मे स्नातकोत्तर मध्य प्रदेश के भोपाल जिले मे निवासरत मूलतः कानपुर (उ.प्र.)का निवासी [email protected]

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Archana Agnihotri
    12 ఫిబ్రవరి 2016
    बहुत अच्छी कहानी  लिखी है चंद्रमौली जी ने , अच्छा प्रयोग है, कहानी थोड़ी और  बढती तो अधिक रोमांच होता  
  • author
    Vartika Singh "😘😘"
    17 మే 2017
    Kash kabhi aisa mere sath ho to janu ki real hota h ya nhi ye sb 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
  • author
    Vishnu Agnihotri
    11 ఫిబ్రవరి 2016
    बहुत अच्छी लघु कथा। मैं तो इस डर से कभी प्रथम श्रेणी में यात्रा नहीं करता। भूत न सही इंसानी भूत तो और ख़तरनाक होते है।
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    Archana Agnihotri
    12 ఫిబ్రవరి 2016
    बहुत अच्छी कहानी  लिखी है चंद्रमौली जी ने , अच्छा प्रयोग है, कहानी थोड़ी और  बढती तो अधिक रोमांच होता  
  • author
    Vartika Singh "😘😘"
    17 మే 2017
    Kash kabhi aisa mere sath ho to janu ki real hota h ya nhi ye sb 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
  • author
    Vishnu Agnihotri
    11 ఫిబ్రవరి 2016
    बहुत अच्छी लघु कथा। मैं तो इस डर से कभी प्रथम श्रेणी में यात्रा नहीं करता। भूत न सही इंसानी भूत तो और ख़तरनाक होते है।