pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

"दानवीर कर्ण: धर्म और वीरता का प्रतीक"

0

महान कर्ण की गाथा, सुनो सब ध्यान से, धर्म, दान और वीरता की, वह अद्भुत पहचान से। सूयपुत्र कर्ण, महिमा जिनकी अपार, अंगराज कहलाए, उनकी गाथा बेमिसाल। धर्मराज्य के पथ पर, चलें सदा कर्ण, दानवीरता की मिसाल, ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

स्वतंत्रता के उतार-चढ़ावों से भरे मेरे जीवन का एक संक्षिप्त रूप: मेरे जीवन में अनेकों उतार चढ़ाव आए हैं, लेकिन मैंने कभी भी अपनी हिम्मत नहीं हारी। जीवन के संघर्ष में हमेशा खड़ा रहा हूँ, अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए। कभी-कभी डगमगाते हुए भी, मैंने कभी हार नहीं मानी। हमेशा उस उज्जवल रोशनी की इंतजार में हूँ, जो मेरे जीवन के अंधकारों को दूर कर दे। आज भी मैं अडिग हूँ, खड़ा हूँ और हौसला बांधे हुए हूँ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है