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दांव-पेंच

4.7
13350

उसने भैंस को जल्दी जल्दी सानी की । हाथ धोए और चबूतरे पर आ गया । खाट पर रखे गद्दे-रजाई को उलट पुलट कर देखा और कहा- ‘’ मेरो अंगोछा नांय मिल रहयो । तनिक देख तो कहां डार दियो ।‘’ सांवल ने पत्नी दुल्लो ...

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लेखक के बारे में
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विजय मीणा
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    जयसिंह नारेङा
    08 जुलै 2016
    आदरणीय श्री विजय सिंह जी मीणा , आपकी यह रचना ह्रदय स्पर्शी एवं मन को झकझोर देने वाली हैं। मुझे आपकी सारी रचनाये बहुत पसंद है और उनमे ग्रामीण भाषा को दर्शाया गया जो काफी अच्छी लगती है इसमें अपनापन महसूस होता है बहुत ही सुंदर रचना की है विजयसिंह सिंह जी आपने
  • author
    S K MISHRA
    11 जुलै 2016
    यह कहानी ब्रज भाषा में लिखी गई है तथा ब्रज के रीति-रिवाजों एवं सामाजिक परिवेश का इसमें बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया गया है। लेखक ने सामाजिक रीति-रिवाज जैसे व्‍याह-शादी जैसे संस्‍कारों का बड़े हीअनूठे ढंग से वर्णन कियाहै। कहानी में सांवल एक बिचौलिया हैजो शादी व्‍याह इत्‍यादि करवाता है तथा दूसरा तरफ खूबी शादियां तुड़वाता है। इस कशमकश का कहानी में बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन किया गयाहै। कहानी बहुत ही रोचक तथा प्ररेणादायक है।
  • author
    Kalu Ram Meena
    09 जुलै 2016
    गाँवों में किस तरह विवाह जैसे सम्बन्धों में भी कुछ अजीब टाइप के लोग तफरीह के बहाने दूसरों का घर नहीं बसने देते हैं और किस तरह अधिकांश इसके उलट न्याय के पक्ष में खडे होते हैं,ऐसी दृश्यों का जीत-जागता चित्रण कहानी करती है। कहानी की भाषा अपने मूल परिवेश के एकदम अनुकूल है जो उसे धार देती है;खुद को अंत तक पढ़वा कर ही मानती है।
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    जयसिंह नारेङा
    08 जुलै 2016
    आदरणीय श्री विजय सिंह जी मीणा , आपकी यह रचना ह्रदय स्पर्शी एवं मन को झकझोर देने वाली हैं। मुझे आपकी सारी रचनाये बहुत पसंद है और उनमे ग्रामीण भाषा को दर्शाया गया जो काफी अच्छी लगती है इसमें अपनापन महसूस होता है बहुत ही सुंदर रचना की है विजयसिंह सिंह जी आपने
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    S K MISHRA
    11 जुलै 2016
    यह कहानी ब्रज भाषा में लिखी गई है तथा ब्रज के रीति-रिवाजों एवं सामाजिक परिवेश का इसमें बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया गया है। लेखक ने सामाजिक रीति-रिवाज जैसे व्‍याह-शादी जैसे संस्‍कारों का बड़े हीअनूठे ढंग से वर्णन कियाहै। कहानी में सांवल एक बिचौलिया हैजो शादी व्‍याह इत्‍यादि करवाता है तथा दूसरा तरफ खूबी शादियां तुड़वाता है। इस कशमकश का कहानी में बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन किया गयाहै। कहानी बहुत ही रोचक तथा प्ररेणादायक है।
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    Kalu Ram Meena
    09 जुलै 2016
    गाँवों में किस तरह विवाह जैसे सम्बन्धों में भी कुछ अजीब टाइप के लोग तफरीह के बहाने दूसरों का घर नहीं बसने देते हैं और किस तरह अधिकांश इसके उलट न्याय के पक्ष में खडे होते हैं,ऐसी दृश्यों का जीत-जागता चित्रण कहानी करती है। कहानी की भाषा अपने मूल परिवेश के एकदम अनुकूल है जो उसे धार देती है;खुद को अंत तक पढ़वा कर ही मानती है।