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चुल्लू भर धर्म

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4.4

मन के भीतर अंधकार मय किसी कोने में बिलखती हुई द्वेष ईर्ष्या और स्वार्थ के प्रहार से घायल सुबकती हुई प्रकाशित पुंज की ऊर्जा में व्यवधान डालने पर सुलगती हुई घोर छतिवश सर्वनास के भय से याचित सिसकती हुई ...