मेरी चूडियों की कीमत, किसने कब पहचानी है। विधवा हुई देश की खातिर, तुमने कहाँ ये जानी है। मेरे जैसी कितनी विधवा, रोज यहाँ पर हो रही हैं। पता नहीं क्या हमको ये, कितनी चूडी टूट रही ...
मेरी चूडियों की कीमत, किसने कब पहचानी है। विधवा हुई देश की खातिर, तुमने कहाँ ये जानी है। मेरे जैसी कितनी विधवा, रोज यहाँ पर हो रही हैं। पता नहीं क्या हमको ये, कितनी चूडी टूट रही ...