pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

छोड़ा हुआ घर

5
3

कभी रौशन हुआ करता था जो घर आज कहलाता है छोड़ा हुआ घर जरूरतों का धोंस  दे चलेंगे जो महलों में क्या एक पल को भी याद ना आया ये घर भूमि पुज्न की नींव एक नहीं कई कई जगह पड़ गई संभाला जिसने लड़खड़ाते ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

साहित्य की हर विधा कविता, कहानी, लघुकथा, इत्यादि से जुड़ाव। ढलती शाम के साथ कुछ भी कोरे कागज पर नीली स्याही से उकेरने कि आदत।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है