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चिट्ठी

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4.4

कुटिया पर मुझे साढ़े-साते बजे तक पहुँच जाना था और सात बज गए थे। एक तो मेरी जेब में रिक्शे-भर के लिए मुद्रा नहीं थी, दूसरे आज इस जाड़े की पहली बारिश हुई थी और इस समय रात के सात बजे तेज हवा थी। जाड़े में ...