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बचपन

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ऐसा था मेरा बचपन गोलियों वाली स्लेट और चुने की खड़िया मचल जाता था देख मन चूरन की पुडिया कभी खेलते थे लूडो कभी छुपा छुपायी कभी प्लास्टिक किचेन सेट, कभी गुड्डे गुडिया बांस के ऊपर लपेट लाता, लटपटी मिठाई ...

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लेखक के बारे में
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SANDEEP MANDAL

संदीप मंडल जो पटना से लगभग 90 किलोमीटर पूरब मोकमा प्रखंड के एक बरह्पूर चंदन नगर से हे ।मै अपना प्राथमिक पढाई गाँव के ही प्राथमिक विद्यालय मोर बिन्द्टोलि से किया फ़िर माध्यमिक और उच्च स्तरीय पढाई के घर 2किलोमीटर पसीच्म मोर से किया ।उसके बाद कॉलेज स्तर की पढाई अनुग्रह नारायण महाविद्यालय बाढ़ से किया । कहानी सुनना बचपन से ही पसंद हे दरवाजे पे लगा जमावडा बचपन से देखता आया हूँ जन्हा ठंडी के दीन मे आग के चारो ओर बैठे खिस्सा सुनाया जाता था ।आज मै वही विधा को आपनी अंतर्मन मे दोहराता हूँ तो कहानी का एक ढाँचा बन जाता हे उसे ही यँह रखने का प्रयासरत हूँ ।

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