pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

छोटी सी कविता

10
5

सफर शुरू हुआ  भी तो कब जब शाम ढलने को थी। जिंदगी ने मुस्काना सीखा भी तो कब जब शाम ढलने को धी। महज इत्तफाक है या सबक जीवन जीना आया भी तो कब जब शाम ढलने को थी।।                 नीरू ...