सफर शुरू हुआ भी तो कब जब शाम ढलने को थी। जिंदगी ने मुस्काना सीखा भी तो कब जब शाम ढलने को धी। महज इत्तफाक है या सबक जीवन जीना आया भी तो कब जब शाम ढलने को थी।। नीरू ...

प्रतिलिपिसफर शुरू हुआ भी तो कब जब शाम ढलने को थी। जिंदगी ने मुस्काना सीखा भी तो कब जब शाम ढलने को धी। महज इत्तफाक है या सबक जीवन जीना आया भी तो कब जब शाम ढलने को थी।। नीरू ...