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छत्तीसगढ़ी हास्य व्यंग्य कविता

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(  छत्तीसगढी--हास्य व्यंग्य-हरेली  ) आज के लैका मन ला भांटो  झाड़ म चढे बर नइ आय, कारकी एमन कभू चोरा के आमा,अमली नइ हे खाय। दार -भात ,कढी ,अथान ,पापर ला लैका मन सूंघय नइ, इनला चाही नुडुल्स ,पीजा ,बरगर ...